भगवान् श्री विष्णु की आरती “ॐ जय जगदीश हरे”
भगवान् श्री विष्णु की आरती “ॐ जय जगदीश हरे” का परिचय
ॐ जय जगदीश हरे । इस आरती के शब्दों में भगवान विष्णु के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का भाव है जो भक्तों को भगवान् विष्णु के प्रति उनका प्रेम समर्पित करने का एक सुन्दर अवसर प्रदान करती है । बृहस्पतिवार का दिन, भगवान् विष्णु की पूजा के लिए उत्तम माना गया है, इस दिन इस आरती को अवश्य गायें और भगवान् विष्णु की कृपा प्राप्त करें।
विकिपीडिया (wikipedia) से मिली जानकारी के अनुसार, ओम जय जगदीश की आरती के रचयिता थे पं॰ श्रद्धाराम शर्मा और उन्होंने 1870 में “ओम जय जगदीश” की आरती की रचना की। वे सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ तथा हिन्दी और पंजाबी के प्रसिद्ध साहित्यकार थे।
॥ भगवान् श्री विष्णु की आरती ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ॥
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनशे मन का, स्वामी दुख विनशे मन का।
सुख सम्पति घर आवे, सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ॥ ॐ॥
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी, स्वामी शरण गहूं मै किसकी ।
तुम बिन और ना दूजा, प्रभु बिन और ना दूजा, आस करूँ मैं जिसकी ॥ ॐ॥
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी, स्वामी तुम अन्तर्यामी ।
पार ब्रह्म परमेश्वर, पार ब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी ॥ ॐ॥
तुम करुणा के सागर, तुम पालन करता, स्वामी तुम पालन करता ।
मैं मूरख खलकामी, मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ॥ ॐ॥
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राण पति, स्वामी सबके प्राण पति ।
किस विध मिलु दयामय, किस विध मिलु कृपामय, तुम को मैं कुमति ॥ ॐ॥
दीन बन्धु दुःख हर्ता, ठाकुर तुम मेरे, स्वामी रक्षक तुम मेरे ।
अपने हाथ उठाओ, अपनी शरण लगाओ, द्वार पड़ा तेरे ॥ ॐ॥
विषय-विकार मिटाओ पाप हरो देवा, स्वामी कष्ट हरो देवा ।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, श्रद्धा प्रेम बढ़ाओ, सन्तन की सेवा ॥ ॐ॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट, क्षण में दूर करे ॥ ॐ॥
Vishnu Aarti “Om Jai Jagdish Hare” in English
Introduction to Vishnu Aarti “Om Jai Jagdish Hare”
Om Jai Jagdish Hare. The words of this Aarti express unwavering devotion and faith towards Lord Vishnu, providing devotees a beautiful opportunity to dedicate their love to Lord Vishnu. Thursday is considered the best day for the worship of Lord Vishnu; singing this Aarti on this day will surely help in receiving his blessings.
According to information from Wikipedia, the creator of the Aarti “Om Jai Jagdish” was Pandit Shraddharam Sharma, who composed it in 1870. He was a promoter of Sanatan Dharma, an astrologer, a freedom fighter, a musician, and a renowned author in Hindi and Punjabi languages.
॥ ‘Om Jai Jagdish Hare’ Aarti of Lord Vishnu ॥
Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare.
Bhakt janon ke sankat, Das janon ke sankat, Kshan mein door kare ॥ Om॥
Jo dhyave phal pave, Dukh binashe man ka, Swami dukh binashe man ka.
Sukh sampati ghar aave, Sukh sampati ghar aave, Kasht mite tan ka ॥ Om॥
Mat pita tum mere, Sharan gahun kiski, Swami sharan gahun main kiski.
Tum bin aur na dooja, Prabhu bin aur na dooja, Aas karun main jiski ॥ Om॥
Tum puran Paramatma, Tum Antaryami, Swami tum Antaryami.
Paar Brahm Parmeshwar, Paar Brahm Parmeshwar, Tum sabke swami ॥ Om॥
Tum karuna ke sagar, Tum palan karta, Swami tum palan karta.
Main moorkh khalkami, Main sevak tum swami, Kripa karo bharta ॥ Om॥
Tum ho ek agochar, Sabke pran pati, Swami sabke pran pati.
Kis vidh milu dayamay, Kis vidh milu kripamay, Tum ko main kumati ॥ Om॥
Deen bandhu dukh harta, Thakur tum mere, Swami rakshak tum mere.
Apne haath uthao, Apni sharan lagao, Dwar pada tere ॥ Om॥
Vishay vikar mitao paap haro deva, Swami kasht haro deva.
Shraddha bhakti badhao, Shraddha prem badhao, Santan ki seva ॥ Om॥
Om Jai Jagdish Hare, Swami Jai Jagdish Hare.
Bhakt janon ke sankat, Das janon ke sankat, Kshan mein door kare ॥ Om॥