श्री बजरंग बाण: हिंदी में पाठ व् महत्त्व पढ़ें।
“बजरंग बाण” हनुमान जी को समर्पित एक बहुत ही प्रभावशाली और शक्तिशाली स्तुति है, जो विशेष रूप से कठिन परिस्थिति, संकट या बाधाओं से मुक्ति के लिए ही रची गयी है। इसे श्री स्वामि तुलसीदास जी के द्वारा रचित माना जाता है, जो हनुमान चालीसा और रामचरितमानस के भी रचियता हैं। इसे जपने से भगवान् हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जो अपने भक्तों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक शक्ति प्रदान करते हैं। बजरंग बाण का पाठ गहरी भक्ति, पूर्ण विश्वास और समर्पण की भावना के साथ ही किया जाना चाहिए और ऐसा करने से भक्तों के सभी संकट और कष्ट दूर होते हैं।
ज्यादातर पाठको का एक ही प्रश्न होता है क्या इसका पाठ प्रतिदिन या किसी भी समय किया जा सकता है ? तो इसका उत्तर इस स्तोत्र में ही समाहित है। बजरंग बाण में हनुमान जी विशेष रूप से विनती की गए है की वे इसके पाठक पर आए भारी संकट को जल्दी से जल्दी दूर करें और उसके लिए उन्हें भगवान् राम की शपथ तक दी गए है। इसीलिए हर भक्त और किसी भी पाठक का ये कर्त्तव्य है की बजरंग बाण का पाठ वे केवल किसी विशेष संकट, आपत्ति अथवा किसी प्रेत बाधा से मुक्ति पाने के लिए ही करें।
आप नियमित रूप से हर दिन हनुमान जी की स्तुति के लिए ‘हनुमान चालीसा’, ‘मारुती स्तोत्र’, और उनकी ‘आरती’ का पाठ कर सकते हैं। उनके भक्तों द्वारा बहुत से भजन भी रचे गए हैं जो भगवान् हनुमान जी के बल, सहस और बुद्धि का गुणगान करते हैं, जिनका नियमित रूप से श्रवण अथवा गायन किया जा सकता हैं और ये सभी भगवान् हनुमान जी की कृपा प्राप्त करने में पूर्ण रूप से सक्षम हैं। यहाँ बजरंग बाण का पाठ दिया गया हैं और साथ ही दिए गए YouTube वीडियो से आप इसे श्रवण भी कर सकते हैं।
॥ जय श्री राम ॥
॥ दोहा ॥
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
जय हनुमन्त सन्त हितकारी, सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।
जन के काज विलम्ब न कीजै, आतुर दौरि महा सुख दीजै।
जैसे कूदि सिन्धु महिपारा, सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।
आगे जाय लंकिनी रोका, मारेहु लात गई सुरलोका ।
जाय विभीषन को सुख दीन्हा, सीता निरखि परमपद लीन्हा ।
बाग उजारि सिन्धु महं बोरा, अति आतुर जमकातर तोरा ।
अक्षय कुमार को मारि संहारा, लूम लपेट लंक को जारा ।
लाह समान लंक जरि गई, जय जय धुनि सुरपुर में भई ।
अब विलम्ब केहि कारन स्वामी, कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।
जय जय लखन प्राण के दाता, आतुर होय दु:ख करहु निपाता ।
जै गिरिधर जै जै सुख सागर, सुर समूह समरथ भटनागर ।
ॐ हनु हनु हनु हनुमन्त हठीले, बैरिहि मारू बज्र की कीले ।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो, महाराज प्रभु दास उबारो ।
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो, बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।
ॐ ह्रिं ह्रिं ह्रिं हनुमन्त कपीसा, ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।
सत्य होहु हरि शपथ पायके, राम दूत धरु मारु जाय के ।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा, दु:ख पावत जन केहि अपराधा ।
पूजा जप तप नेम अचारा, नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।
वन उपवन मग गिरि गृह माहीं, तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।
पांय परौं कर जोरि मनावौं, येहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
जय अंजनि कुमार बलवन्ता, शंकर सुवन वीर हनुमन्ता ।
बदन कराल काल कुल घालक, राम सहाय सदा प्रतिपालक ।
भूत, प्रेत, पिशाच निशाचर, अग्नि बेताल काल मारी मर ।
इन्हें मारु, तोहि शपथ राम की, राखउ नाथ मरजाद नाम की ।
जनकसुता हरि दास कहावो, ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।
जै जै जै धुनि होत अकासा, सुमिरत होत दुसह दु:ख नाशा ।
चरन शरण कर जोरि मनावौं, यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई, पांय परौं कर जोरि मनाई ।
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता, ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ।
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल, ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ।
अपने जन को तुरत उबारो, सुमिरत होय आनंद हमारो ।
यह बजरंग बाण जेहि मारै, ताहि कहो फिर कौन उबारै ।
पाठ करै बजरंग बाण की, हनुमत रक्षा करै प्राण की ।
यह बजरंग बाण जो जापै, ताते भूत-प्रेत सब कांपै ।
धूप देय अरु जपै हमेशा, ताके तन नहिं रहै कलेशा ।
॥ दोहा ॥
प्रेम प्रतीतिहि कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
॥ इति ॥
Shri Bajrang Baan: Read the Text and Importance in English
“The Bajrang Baan” is a very powerful and influential hymn dedicated to Lord Hanuman, specifically composed for liberation from difficult situations, crises, or obstacles. It is believed to be written by Shri Swami Tulsidas Ji, who is also the author of Hanuman Chalisa and Ramcharitmanas. Reciting this hymn brings the grace of Lord Hanuman, who provides mental, physical, and spiritual strength to his devotees. The recitation of Bajrang Baan should be done with deep devotion, complete faith, and a sense of surrender, and doing so alleviates all crises and troubles for the devotees.
A common question among most readers is whether it can be recited daily or at any time? The answer to this is contained within the hymn itself. In the Bajrang Baan, there is a special request to Lord Hanuman to quickly remove the severe crises that befall the reciter, and for this purpose, they even make an oath to Lord Ram. Therefore, it is the duty of every devotee and reader to recite the Bajrang Baan only in times of particular crises, emergencies, or to get rid of evil spirits.
For daily worship of Lord Hanuman, you can recite the ‘Hanuman Chalisa’, ‘Maruti Stotra’, and his ‘Aarti’. Many hymns (Bhajans & Ashtak) have been composed by his devotees that praise Lord Hanuman’s strength, courage, and intelligence, which can be regularly listened to or sung, and all of these are fully capable of obtaining the grace of Lord Hanuman. Here, the text of Bajrang Baan is provided, and you can also listen to it from the provided YouTube video.
॥ Jai Shri Ram ॥
॥ Doha ॥
Nishchay Prem Prateeti Te, Vinay Karain Sanmaan.
Tehi Ke Kaaraj Sakal Shubh, Siddh Karain Hanuman.
Jai Hanumant Sant Hitkaari, Sun Lijai Prabhu Araj Hamari.
Jan Ke Kaaj Vilamb Na Kijai, Aatur Dauri Maha Sukh Dijai.
Jaise Koodi Sindhu Mahipara, Surasa Badan Paithi Vistara.
Aage Jaay Lankini Roka, Maarehu Laat Gai Suraloka.
Jaay Vibhishan Ko Sukh Deenha, Seeta Nirakhi Parampad Leenha.
Baag Ujaari Sindhu Mahan Bora, Ati Aatur Jamkaatar Tora.
Akshay Kumar Ko Maari Sanhaara, Loom Lapet Lank Ko Jaara.
Lah Saman Lank Jari Gai, Jai Jai Dhuni Surpur Mein Bhai.
Ab Vilamb Kehi Kaaran Swami, Kripa Karahu Ur Antaryaami.
Jai Jai Lakhan Praan Ke Daata, Aatur Hoy Duhkh Karahu Nipata.
Jai Giridhar Jai Jai Sukh Sagar, Sur Samooh Samarath Bhatnagar.
Om Hanu Hanu Hanu Hanumant Hathile, Bairihi Maaru Bajra Ki Kele.
Gada Bajra Lai Bairihin Maaro, Maharaj Prabhu Daas Ubaaro.
Om Kaar Hunkaar Mahaprabhu Dhaavo, Bajra Gada Hanu Vilamb Na Laavo.
Om Hrim Hrim Hrim Hanumant Kapeesa, Om Hum Hum Hum Hanu Ari Ur Sheesha.
Satya Hohu Hari Shapath Paayake, Ram Doot Dharu Maar Jaay Ke.
Jai Jai Jai Hanumant Agaadha, Duhkh Paavat Jan Kehi Apraadha.
Pooja Jap Tap Nem Achaara, Nahin Jaanat Houn Daas Tumhaara.
Van Upavan Mag Giri Gruh Maahin, Tumhare Bal Ham Darpat Nahin.
Paay Paroun Kar Jori Manaavoun, Yehi Avasar Ab Kehi Gohraavoun.
Jai Anjani Kumar Balwanta, Shankar Suvan Veer Hanumanta.
Badan Karaal Kaal Kul Ghaalak, Ram Sahaay Sada Pratipaalak.
Bhoot, Pret, Pishaach Nishaachar, Agni Betaal Kaal Maari Mar.
Inhein Maaru, Tohi Shapath Ram Ki, Raakhou Naath Marjaad Naam Ki.
Janaksuta Hari Daas Kahaavo, Taaki Shapath Vilamb Na Laavo.
Jai Jai Jai Dhuni Hot Akaasa, Sumirat Hot Dusah Duhkh Naasha.
Charan Sharan Kar Jori Manaavoun, Yahi Avasar Ab Kehi Gohraavoun.
Uthu Uthu Chalu Tohi Ram Duhaai, Paay Paroun Kar Jori Manaai.
Om Cham Cham Cham Cham Chapal Chalanta, Om Hanu Hanu Hanu Hanu Hanumanta.
Om Ham Ham Haank Det Kapi Chanchal, Om Sam Sam Sahami Paraane Khal Dal.
Apne Jan Ko Turat Ubaaro, Sumirat Hoy Anand Hamaro.
Yah Bajrang Baan Jehi Maarai, Taahi Kaho Phir Kaun Ubaarai.
Paath Karai Bajrang Baan Ki, Hanumat Raksha Karai Praan Ki.
Yah Bajrang Baan Jo Jaapai, Taate Bhoot-Pret Sab Kaampai.
Dhoop Dey Aru Japai Hamesha, Taake Tan Nahin Rahai Kalesha.
॥ Doha ॥
Prem Prateetahi Kapi Bhajai, Sada Dharai Ur Dhyaan.
Tehi Ke Kaaraj Sakal Shubh, Siddh Karain Hanuman.
॥ Iti ॥